नमस्कार दोस्तों आज हम आपको, लेपाक्षी मंदिर के रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं, लेपाक्षी मंदिर को किसने बनाया था, लेपाक्षी का क्या अर्थ है, लेपाक्षी मंदिर में किस भगवान की पूजा की जाती है, लेपाक्षी मंदिर किस लिए प्रसिद्ध है, लेपाक्षी मंदिर के लटकते स्तंभ के पीछे क्या रहस्य है?, लेपाक्षी में किसका पैर है? और भी बहुत से वह सवाल जो लेपाक्षी मंदिर के दर्शन करने के बाद आपके मन में उठते हैं।
लेपाक्षी मंदिर के बारे में पूरी जानकारी
भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ की भारतीय वास्तु कला, भाषा विज्ञान, खगोल विज्ञान, संस्कृति, दर्शन और आध्यात्मिकता में एक मजबूत नींव है। भारतीय ज्ञान परंपरा पुरातन युग से बहुत समृद्ध रही है। भारतीय वास्तुकला और विज्ञान से परिपूर्ण आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित यह विशाल और आश्चर्यजनक मंदिर लेपाक्षी मंदिर के नाम से विख्यात है लेपाक्षी मंदिर जिसे हैंगिंग पिल्लर टेम्पल के नाम से भी जाना जाता हैं। जहाँ वीरभद्र की आराधना के साथ ही दूर दूर से लोग इस मंदिर के एक भाग में छत से झूलते स्तंभ को भी देखने यहाँ आते हैं। जीस पर इस मंदिर की पूरी मजबूती टिक्की हुई है, लेकिन क्या आप जानते हैं जब एक ब्रिटिश इंजीनियर ने यह रहस्यमय पिल्लर की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की तो क्या हुआ?
लेपाक्षी मंदिर का अर्थ
यह जानने से पहले लीपाक्षी मंदिर के इतिहास पर दृष्टि डालते हैं। मान्यता है कि वनवास के समय भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता यहाँ आए थे, जब रावण माता सीता का हरण कर लंका ले जा रहा था तब गिद्ध राज़ जटायु ने सीता माता को रावण के चंगुल से बचाने के लिए रावण से युद्ध किया और जटायु बुरी तरह से घायल होकर गिर गए। बाद में जब श्रीराम सीता की तलाश में यहाँ पहुंचे तो उन्होंने लेपाक्षी कहते हुए जटायु को अपने गले लगा लिया। लेपाक्षी एक तेलुगु शब्द है जिसका मतलब है उठो पक्षी। इस तरह इस मंदिर का नाम लेपाक्षी पड़ा है।
लेपाक्षी मंदिर को किसने बनाया
इस स्थान के महत्त्व को समझते हुए सोलहवीं सदी में विजय नगर के राजा अच्युतराय के विश्वास पात्र खजानजी वीरूपन्ना और उनके भाई वीरन्ना ने इस मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू कराया।
लेपाक्षी मंदिर का रहस्य क्या है?
मुख्य मंदिर के ठीक सामने ये है नाट्य मंडप, इसमें कुल 70 खम्बे है। इस नाट्य मंडप के उत्तर पूर्वी कोने में यही है वो रहस्यमय स्तंभ। आठ फिट लंबा यह स्तंभ जो जमीन से लगभग आधा इंच ऊपर है। लेकिन हैरानी इस बात की है खुद जमीन पर नहीं टिके होने के बाद भी इस पिलर पर पूरा मंदिर टिका हुआ है।
अंग्रेजों ने इस रहस्य में वास्तुकला से निर्मित इस गुथी को सुलझाने के लिए सन 1902 के आसपास एक ब्रिटिश इंजीनियर को छानबीन के लिए यहाँ भेजा था। परंतु उस इंजीनियर ने जैसे ही एक लोहे की छड़ को इस खम्बे के नीचे डालकर स्तंभ को खिसकाने की कोशिश की तो बाकी पिलर भी अपनी जगह से खिसकने लगे। जिसकी वजह से उस ब्रिटिश इंजीनियर को अपनी छानबीन तुरंत रोकनी पड़ी और ये रहस्य आज भी रहस्य में बना हुआ है।
लेपाक्षी मंदिर कई अन्य मामलों में भी काफी आकर्षक है
वैसे लेपाक्षी मंदिर कई अन्य मामलों में भी काफी आकर्षक है। जैसे कि मंदिर से 200 मीटर की दूरी पर स्थित यह नंदी की मूर्ति है, एक ही पत्थर को तराश कर बनाई गई इस नंदी की मूर्ति की उचाई 15 फिट और चौड़ाई 27 फिट है। यह नंदी की अब तक की सबसे बड़ी प्रतिमा है। निपाक्षी मंदिर की दीवारों पर भक्ति चित्र भारतीय कला के इतिहास को दर्शाते हैं जिसमें महाकाव्यों महाभारत, रामायण और पुराणों के दृश्यों के साथ साथ मंदिर के लाभार्थियों की जीवन रेखा चित्र को भी दर्शाया गया है, जो विश्व प्रसिद्ध है। वर्षों से इस मंदिर में कई ऐतिहासिक पहलू तो जुड़े ही हैं, साथ ही यह मंदिर आधुनिक इंजीनियरिंग की दुनिया को भी चुनौती देता है। सोलहवीं शताब्दी से पहले बना यह लेपाक्षी मंदिर अपनी धार्मिक वास्तुकला, विज्ञान, संस्कृति, दर्शन व शिल्प के कारण प्रत्येक जनमानस के लिए आकर्षण के साथ सदैव गौरव का केंद्र बना रहेगा।
लेपाक्षी मंदिर का वीडियो
नीचे हमने लेपाक्षी मंदिर का यूट्यूब वीडियो भी शेयर किया है, इस वीडियो को देखकर भी आप लेपाक्षी मंदिर के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं ।
लेपाक्षी मंदिर की क्या खासियत है?
इस मंदिर का नाम है लेपाक्षी मंदिर, जिसे ‘हैंगिंग पिलर टेंपल’ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में कुल 70 खंभे हैं, जिसमें से एक खंभे का जमीन से जुड़ाव नहीं है। वो रहस्यमयी तरीके से हवा में लटका हुआ है। लेपाक्षी मंदिर के अनोखे खंभे आकाश स्तंभ के नाम से भी जाने जाते हैं।
लेपाक्षी का अर्थ क्या है?
वाल्मिकी रामायण के अनुसार, राम, हनुमान के साथ, यहां मरते हुए जटायु से मिले थे, और उन्हें “लेपाक्षी” (तेलुगु में ” उठो पक्षी “) शब्द बोलकर मोक्ष प्राप्त करने में मदद की थी। इसलिए नाम, लेपाक्षी पड़ाv
लेपाक्षी मंदिर में किस भगवान की पूजा की जाती है?
लेपाक्षी मंदिर में भगवान शिव के उग्र रूप वीरभद्र की पूजा की जाती है
लेपाक्षी मंदिर में कितने लटके हुए खंभे हैं?
मंदिर में 70 पत्थर के खंभे हैं इनमें से एक खंभा छत से लटका हुआ है। खंभे के आधार और ज़मीन के बीच एक गैप है
जटायु लेपाक्षी में गिरा या केरल में?
ऐसा माना जाता है कि जटायु ने भूमि के अंत तक रावण का पीछा किया और केरल के चदयामंगलम में एक पहाड़ी पर गिर गया जहां उसने अंतिम सांस ली। जिस स्थान पर जटायु पहली बार गिरे थे, उसे अब लेपाक्षी मंदिर के नाम से जाना जाता है, जिसका नाम रामायण से लिया गया है।
लेपाक्षी में किसका पैर है?
कल्याण मंडप से गुजरने के बाद आपको मंदिर के फर्श पर एक विशाल पदचिह्न दिखाई देगा। यह लगभग ऐसा था जैसे किसी ने जोर से उनके पैर फर्श पर पटक दिए हों। माना जाता है कि देवी सीता के पदचिह्न हैं।